संघ का संक्षिप्त इतिहास

दीवानी न्यायालय कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश का गठन सन् 1920 में हुआ था और सन् 1928 में संघ को मान्यता प्राप्त हुई थी। तदोपरान्त संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध की सरकार ने 1929 में मान्यता प्रदान की थी। उस समय तक राजकीय सेवा एवं आचरण नियमावली ने लोकतंत्र एवं स्वतंत्रता काल नही देखा था। माननीय उच्च न्यायालय के साथ चीफ कोर्ट अवध को संविलिनीकरण से पूर्व हमारा संघ दो वर्गों में था, यथा आगरा और लखनऊ जो संयुक्त प्रांत आगरा व अवध में फैला हुआ था। संघ का नाम उ0प्र0 सिविल कोर्ट मिनिस्ट्रियल आफिसर्स एसोसिएशन था। दोनो प्रान्तो के संगठन पृथक-पृथक कार्य करते थे। उसके संयुक्त सचिव और सलाहकार परिषद का चुनाव सम्बंधित वर्गों के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में केन्द्रीय संघ की सलाह एवं संरक्षण में कार्य करते थे। दोनो प्रान्तो के संघो की पृथक समस्यओं के लिये पृथक-पृथक कार्यवाही की जाती थी परन्तु समान समस्याओं के लिये केन्द्रीय संघ ही कार्यवाही करता था। दोनो संघों के अधिवेशन प्रारम्भ में पृथक-पृथक आयोजित किये गये थे। परन्तु बाद में संयुक्त रूप से अधिवेशन आहूत किये जाने लगे। संघ के गठन के प्रारम्भ से उपलब्ध अभिलेखों के अनुसार प्रथम से षष्टम् अधिवेशन सन् 1926 से 1933 में मध्य आयोजित किये गये थे आगे विवरण निम्न प्रकार हैं:-
  1. संघ का सांतवा अधिवेशन माह सितम्बर 1934 में लखनऊ में डाॅ. कुतुबुद्दीन अहमद एम0ए0एल0डी0बार0एस0, लाॅ की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था।
  2. संघ का आठवा अधिवेशन बनारस (वाराणसी) में आयोजित किया गया था जिसका उद्घाटन डाॅ0 श्री के0 एन0 काटजू द्वारा (भूतपूर्व माननीय मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश) द्वारा किया था।
  3. नवाँ अधिवेशन मार्च 1936 में अयोजित किया गया था।
  4. दसवाँ अधिवेशन जनपद उन्नाव में 16 फरवरी 1937 में आयोजित किया गया था।
  5. 11वाँ अधिवेशन जनपद हरदोई में 1938 में श्री विशम्भर दयाल एडवोकेट, एम.ए.एल.एल.बी. की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था यहां यह भी उल्लेखनीय है कि संघ का हरदोई अधिवेशन जो 16 अप्रैल 1938 में आयोजित हुआ जिसमें आगरा और अवध दोनो संघ लमी पत्राचार की श्रृखलां में एक साथ मिले बैठे और उपस्थिति दर्ज करायी। उस समय ज्योति प्रसाद भटनागर, मेरठ के महासचिव और आगरा मिनिस्ट्रियल आफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव थे। सम्पूर्ण देश में राजनीतिक उथल-पुथल के कारण 1939 से लेकर 1945 तक संघ का कोई अधिवेशन आयोजित नही हो सका।
  6. विश्वास और प्रोत्साहन सिविल कोर्ट कर्मचारियों में जाग्रत करने हेतु संघ का बारहवाँ सम्मेलन लखनऊ दिनांक24.03.1946 में अवध सिविल कोर्ट मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन ने आयोजित किया। जिसमें उन्नाव, बाराबंकी, हरदोई, लखीमपुर खीरी, सुल्तानपुर, रायबरेली, प्रतापगढ़ और लखनऊ जनपद के कर्मचारियों ने भाग लिया। इस अधिवेशन की अध्यक्षता पं0 यज्ञ नारायन उपाध्यय एम0ए0एल0टी0, एल0एल0बी0 (ब्रिटिश काल के विधायक) द्वारा किया गया था। इस अधिवेशन में लखनऊ जनपद के श्री सतगुरूसरन, अवैतनिक महासचिव तथा पं0 वी0एन0 उपाध्याय एम0एल0ए0 को अगले अधिवेशन तक अध्यक्ष बनाया।
  7. सन् 1947 और 1949 के मध्य तेरहवाँ और चैदहवाँ दो अधिवेशन आयोजित किये गये परन्तु उनके समय और स्थान के बारे में कोई सूचना उपलब्ध नही है।
  8. अप्रैल 1950 में संघ का पंद्रहवाँ अधिवेशन लखनऊ में आयोजित किया गया जिसका उद्घाटन माननीय न्यायमूर्ति श्री विन्ध्यवासिनी प्रसाद, इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा किया गया। इस अधिवेशन में श्री पी0एल0 श्रीवास्तव मुंसरिफ जिला एवं सत्र न्यायालय कानपुर तथा श्री सतगुरूसरन अभिलेखपाल ने लखनऊ से क्रमशः अध्यक्ष और अवैतनिक महासचिव निर्वाचित किये गये। जबकि राजाराम मिश्रा उन्नाव, उपाध्यक्ष, सर्व श्री मुन्नीलाल, बलिया एवं श्री एम0बी0 अस्थाना लखनऊ, संयुक्त सचिव और श्री लाल गुप्ता, हरदोई सम्प्रेक्षक चुने गए। इसके अतिरिक्त दो प्रचार सचिव यथा श्री शंकर दयाल राय दाता तथा जय नारायन श्रीवास्तव लखनऊ चुने गये।
  9. संघ का 16 वाँ अधिवेश बांदा जनपद मंे आयोजित किया गया था। तत्समय वह एक पृथक जजी नही थी। ये अधिवेशन भारत की स्वतंत्रता के उपरांत नया संविधान लागू होने पर किया गया था, और जिसके द्वारा न्यायपालिका का महान शक्ति एवं उत्तर दायित्व सौंपा गया था। उस समय तक चीफ कोर्ट अवध, इलाहाबाद हाईकोर्ट में संविलीन हो चुकी थी और चीफ कोर्ट को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खण्डपीठ लखनऊ बनाया गया। इस अधिवेशन का उद्घाटन माननीय श्री हरिश्चन्द्र, आई0सी0एस0 प्रशासनिक न्यायमूर्ति उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा 20.10.1951 को किया गया था। इस अधिवेशन में इलाहाबाद, बाराबंकी, बरेली, बुलन्दशहर, हरदोई, फैजाबाद, हमीरपुर, झांसी, जौनपुर, रामपुर, खीरी, लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, सुलतानपुर, उन्नाव और बांदा जजी के कर्मचारी संयुक्त रूप से सम्मिलित हुए थे। उल्लेखनीय है कि यह प्रथम अधिवेशन था जिसमें आगरा व अवध दोनो प्रांतो के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इस अधिवेशन में उ0प्र0 मिनिस्ट्रियल फेडरेशन के दो प्रतिनिधि एल0एन0 माथुर, बी0एल0 भाटिया सम्मिलित हुए जिन्होने कर्मचारियों को सुसंगठित संघ और प्रबल बल जुटाने का आह्वान किया ताकि उनको मान्यता मिले। इस अधिवेशन में एक प्रस्ताव पारित करके शखाओं को यह निर्देश दिया गया कि वे फेडरेशन से सीधे केन्द्रीय संघटन की पूर्वानुमति से सम्पर्क करें और आपातकालीन स्थिति में केन्द्रीय संगठन से सलाह मशविरा करें और महासचिव संयुक्त सचिव तत्काल अपनी सलाह प्रस्तुत करें। यह श्री प्रस्ताव पारित किया गया कि फेडरेशन जब भी शाखाओं को निर्देश प्रस्तुत करें तो उससे पूर्व केन्द्रीय संगठन से भी ऐसे मामले में फैसले करने से पहले सलाह मशविरा कर लंे। इस अधिवेशन में कानपुर के श्री प्यारेलाल श्रीवास्तव, लखनऊ के सतगुरू शरण श्रीवास्तव सर्वसम्मति से क्रमशः अध्यक्ष और महासचिव चुने गए।
  10. संघ का 17वाँ अधिवेशन जनवरी, 1953 में इलाहाबाद में आयोजित किया गया जिसमें 24 जनपदों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। संघ के पूर्व अध्यक्ष श्री प्यारेलाल (कानपुर) को संघ का संरक्षक और सतगुरूशरण मुंसरिम, लखनऊ एवं श्री मुन्नीलाल, मंुसरिम बलिया को क्रमशः अध्यक्ष और महासचिव चुना गया जबकि श्री लक्ष्मी नारायन माथुर और श्री एस0पी0 श्रीवास्तव, गोण्डा उपाध्यक्ष बने। इसके अधिवेशन दो संयुक्त सचिव मेरठ और लखनऊ जजशिप से चुने गये।
  11. संघ का 18वाँ अधिवेशन 1953 में आयोजित किया गया और इस संविधान के अनुसार आगरा और लखनऊ के दो संघ बने रहे।
  12. संघ का 19वाँ अधिवेशन जनपद शाहजहाँपुर में नवम्बर 1954 में आयोजित किया गया था जिसमें 24 जनपदों ने भाग लिया और पुनः श्री सतगुरूशरण, लखनऊ और मुन्नीलाल, बलिया को क्रमशः अध्यक्ष एवं महासचिव चुना गया।
  13. संघ का 20वं अधिवेशन दिसम्बर 1955 में बनारस में आयोजित किया गया जिसमें प्रदेश की 24 जनपदीय शाखाओं ने भाग लिया। इस अधिवेशन में भी श्री सतगुरूशरण, लखनऊ तथा मुन्नीलाल, बलिया को क्रमशः अध्यक्ष एवं महासचिव चुना गया।
  14. सन् 1956 में मेरठ और बस्ती में संघ का अगला अधिवेशन आयोजित किया जाना चाहिए था। परन्तु दोनो शाखाओं के सदस्यों द्वारा असमर्थता व्यक्त करने के कारण आयोजित नही हो सका। अंततः संघ का 21वाँ अधिवेशन लखनऊ में आयोजित किया गया।
  15. संघ का 24वाँ अधिवेशन जनपद झांसी में 01 व अप्रैल 1961 के संघ परिवर्तित नाम यू0पी0 सिविल कोर्ट मिनिस्ट्रियल सर्विसेज एसोसिएशन के साथ मनाया गया। इस अधिवेशन का उद्घाटन माननीय न्यायमूर्ति श्री बी0 मुखर्जी न्यायाधीश, इलाहाबाद, उच्च न्यायालय द्वारा किया गया। इस अधिवेशन में 24 जनपदों में भाग लिया, यथा आगरा, अलीगढ़, इलाहाबाद, आजमगढ़, बहराइच, बलिया, बांदा, बाराबंकी, बरेली, बस्ती, बुलंदशहर, देवरिया, फैजाबाद, फतेहपुर, गाजीपुर, गोरखपुर, हरदोई, झांसी, कानपुर, लखनऊ, लखीमपुर, कुमायुं डिवीजन, मथुरा, मैनपुरी, मेरठ मिर्जापुर, मुरादाबाद, उरई, रायबरेली, सीतापुर, सुल्तानपुर, उन्नाव आदि के जनपदो के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। श्री परमेश्वरी दयाल, सदर मुंसरिम, झांसी चैयरमैन स्वागत समिति ने अतिथियों और प्रतिनिधियों का हृदय से स्वागत किया। श्री सतगुरूशरण लखनऊ सदर मुंसरिम के पद से दिनांक31.08.60 को सेवानिवृत्त हो गये परन्तु संघ उनके नेतृत्व और परिपक्व अनुभवों और योग्यताओं का लाभ प्राप्त कर रहा था उनकी बढ़ती हुयी उम्र के बावजूद उनके अथक प्रयास और मेहनत का लखनऊ संघ को मिलता रहा। इसको दृष्टिगत रखते हुए श्री सतगुरू शरण को सर्वसम्मति से अगले अधिवेशन तक संघ का अध्यक्ष चुने जाने का निर्णय लिया गया। श्री गंगा प्रसाद कटियार, सदर मुंसरिम से अगले अधिवेशन तक संघ के अध्यक्ष चुने गये। संघ के इस अधिवेशन में पहली बार महासचिव के पद पर मतदान हुआ जिसमें श्री मुन्नीलाल चुने गये और 35 सदस्य कार्यकारिणी के चुने गए। इस अधिवेशन में संघ की दोनो शाखाओं आगरा और अवध का संविलीन हो गया और इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित कर 1953 से लागू नियम एवं उपलब्धियों को परिवर्तित कर संघ का नया संविधान तैयार किया गया।
  16. संघ का 25 वाँ अधिवेशन जनपद शाखा जौनपुर में दिसम्बर 1961 में आयोजित किया गया था। जिसमें केवल 22 जनपदों ने भाग लिया। इस अधिवेशन में सर्व श्री सतगुरू शरण एवं मुन्नीलाल को क्रमशः अध्यक्ष एवं महासचिव पद पर बनाये रखा गया।
  17. संघ का 26 वाँ अधिवेशन 8 जून 1962 को जनपद आजमगढ़ में आयोजित किया गया। जिसमें केवल 12 शाखाओं ने भाग लिया क्योंकि इस मध्य 1962-63 में शाखाएं संघ की गतिविधियों से अनभिज्ञ रही तथा विभिन्न शाखाओं का सहयोग केन्द्रीय संगठन को कम मिला।
  18. संघ का 27 वाँ अधिवेशन 17-18 अप्रैल, 1965 में आयोजित किया गया और इस अधिवेशन में सर्व श्री सतगुरूशरण अध्यक्ष और उनके सहयोगियों के प्रभाव एवं अथक प्रयास से 42 शाखाओं ने प्रतिनिधित्व किया। इस अधिवेशन में श्री सतगुरूशरण पुनः संघ के अध्यक्ष चुने गये और जौनपुर शाखा के राधा मोहन अस्थाना संघ के महासचिव चुने गये।
  19. संघ का 28वाँ अधिवेशन दो वर्ष के उपरांत 1967 में फैजाबाद में आयोजित किया गया। इस अधिवेशन में यद्यपि श्री सतगुरूशरण सेवा निवृत हो चुके थे। तथापि उन्हे संघ का अध्यक्ष एवं श्री कृष्ण स्वरूप, फैजाबाद को महासचिव चुना गया।
  20. संघ का 29 वाँ अधिवेशन 1970 में आयोजित किया गया। जहां देवी प्रसाद सक्सेना, सदर मुंसरिम को जनपद मेरठ को संघ का अध्यक्ष और श्री कृष्ण स्वरूप, फैजाबाद को महासचिव चुना गया। कालान्तर में श्री सतगुरूशरण को संघ के संरक्षक के रूप में मनोनीत किया गया। सन् 1968 में संशोधित नियम एवं उपाधियों का 1967 में पुनः प्रकाशित कर लागू किये जाने की अनुमति दी गयी।
  21. संघ के 29वें अधिवेशन के पश्चात 7 वर्ष तक संघ की गतिविधियां शिथिल हो गयी केवल एक कार्यकारिणी बैठक कानपुर में आयोजित हुई जिसमें तत्कालीन सचिव राजाराम वर्मा, लखनऊ ने आहूत किया और इसमें 31 शाखाओं ने भाग लिया और इस बैठक में संघ की गतिविधियां शून्य और शिथिल होने पर विचार विमर्श किया गया। इस मध्य शाखाएं सुषुप्त अवस्था में रही और किसी भी विषय पर अपनी सहमति केन्द्रीय संगठन को आर्थिक सहयोग एवं सहयोग के रूप में नही दिया। सभी प्रयास तत्कालीन महासचिव के निरर्थक रहे क्योंकि कोई आर्थिक सहयोग और जनशक्ति नही मिली। यह वह समय था जब कर्मचारीगण अपनी मागों और कठिनाईयों के बारे में जागरूक नही रहे और कर्मचारियों की शिथिलता के कारण प्रशासन ने उसका भरपूर लाभ उठाया और कर्मचारियों को नाना प्रकार से प्रताडित किया और अधिकारियों ने छोटे-छोटे मामलों में कर्मचारियों से दुव्र्यवहार करने व उन्हे दंडित करने का रवैया अख्तियार किया। क्योंकि उस समय उनको संरक्षण देने और उच्च अधिकारियों को उनकी समस्याओं को बताने की स्थिति में कोई नही था। इस सम्बन्ध में यह कहना अनुचित न होगा कि उपरोक्त वर्णित परिस्थितियों को दूर करने के लिये लखनऊ जजी के कर्मचारियों ने संयुक्त प्रयास किये और संघ को उपरोक्त वर्णित कठिनाईयों से उबारने का प्रयास किया गया जिसके लिये वे धन्यवाद के पात्र हैं। लखनऊ जजी के कर्मचारियों ने इस सम्बन्ध में तमाम प्रयास किये, जिससे विभिन्न जनपदीय शाखाओं में एकता का सूत्रपात हुआ और उन्होने लोगों को उत्साहित करके संगठन के प्रति जागरूक करने के लिये जो सत्समय सुप्त प्राय था, को जगाने का प्रयास किया। लखनऊ जजी के कर्मचारियों ने जनवरी 1977 से मई 1977 के मध्य अधिकारियों से अपनी समस्याओं को दूर किये जाने के लिये लम्बा आन्दोलन किया जिसके परिणामस्वरूप संघ का 30वाँ अधिवेशन लखनऊ में 25-26 दिसम्बर 1977 को आयोजित किया गया। यह अधिवेशन लखनऊ के कर्मचारियों में सर्व श्री राजाराम वर्मा, श्यामसुन्दर लाल, कुलदीप कुमार तथा अतहर अली खान, नंदकुमार श्रीवास्तव, श्री विजय कुमार (लखनऊ) एवं कानपुर जनपद के राजेन्द्र प्रसाद आर्य के अथक प्रयास से आयोजित किया गया। इस अधिवेशन का उद्घाटन माननीय न्यायमूर्ति श्री हरिस्वरूप प्रशासनिक न्यायमूर्ति उच्च न्यायालय खण्डपीठ लखनऊ द्वारा किया गया। तथा इस अधिवेशन के खुले सत्र का उद्घाटन श्री ओम प्रकाश सिंह तत्कालीन न्यायमंत्री खण्डपीठ लखनऊ द्वारा किया गया। लखनऊ के तत्कालीन सदर मुंसरिम श्री नंद किशोर श्रीवास्तव द्वारा चेयरमैन स्वागत समिति के रूप में अतिथियों और प्रतिनिधियों का स्वागत किया गया। इस अधिवेशन में अतिथियों और प्रतिनिधियों का स्वागत किया गया। इस अधिवेशन में श्री महेश प्रकाश माथुर एटा जनपद अध्यक्ष एवं लखनऊ जनपद के नंदकुमार श्रीवास्तव महासचिव चुने गये। संघ का यह चुनाव खुले सत्र में मतदान द्वारा संपादित किया गया। श्री हरदेव सिन्हा सदर मुंसरिम (हमीरपुर), श्री सुरेन्द्रनाथ श्रीवास्तव, सदर मुंसरिम (आजमगढ़) श्री राजाराम वर्मा, सदर मंसरिम (फैजाबाद) तथा श्री विद्यादत्त शर्मा, सदर मुंसरिम (देहरादून) उपाध्यक्ष चुने गए। सन् 1967 में संशोधित नियमों के अनुसार कोषाध्यक्ष के नवीन पद पर को कोषाध्यक्ष श्री विजय कुमार (लखनऊ) को चुना गया। श्री शिवप्रसाद शर्मा, अम्बू, आजमगढ़ श्री गिरीश कुमार शर्मा, ‘‘विरस’’ लखीमपुर को क्रमशः संगठन सचिव और सांस्कृतिक सचिव चुना गया। जबकि सर्व श्री राजेन्द्र प्रसाद आर्य, कानपुर तथा लखनऊ की कुमारी आज्ञावती सोखी को संयुक्त सचिव के पद पर चुना गया। संघ के पदाधिकारी की नई टीम ने पूरे विश्वास और प्रयास से अपने कर्तव्यबोध के साथ अधिवेशन पदाधिकारियों ने पूरी इकाईयों से व्यक्तिगत रूप से संपर्क स्थापित किया और उनमें संघ के प्रति पूरा विश्वास एवं पुर्नगठन की भावना जाग्रत करने का प्रयास किया। विभिन्न स्थानों पर क्षेत्रीय अधिवेशन आयोजित कर संघ की प्रगति हेतु एवं कर्मचारियों की मांगो के प्रति जिन्हे माननीय उच्च न्यायालय द्वारा संस्तुति किया गया था, पर कोई ध्यान नही दिया। इस कारण सारे उत्तर प्रदेश के सिविल कोर्ट कर्मचारियों को ‘‘लखनऊ चलो’’ रैली के रूप में दिनांक09.04.79 को आहूत किया गया। इस रैली में 40 जिलो की शाखाओं के कर्मचारी जिसमें लगभग 5000 न्यायिक कर्मचारी थे, ने भाग लिया 24 सूत्री भागों को ज्ञापन राज्य सरकार को समर्पित किया गया। परन्तु राज्य सरकार हमारी मांगो के प्रति सर्वथा उदासीन रही। परिणामस्वरूप 17 सितम्बर 1979 को सम्पूर्ण उ0प्र0 के अधीनस्थ कर्मचारी हड़ताल पर चले गये। इस पर राज्य सरकार के अधिकारियों ने हमारे मामलों पर विचार करने का आश्वासन दिया और संघ ने उसे स्वीकार करते हुए संघ की कार्यवाहन समिति में कृष्णस्वरूप की अध्यक्षता में 16.10.79 को प्रदेश व्यापी हड़ताल वापस ले ली। इस हड़ताल के परिणामस्वरूप उ0प्र0 शासन ने अधीनस्थ न्यायिक कर्मचारियों के लिये वेतन पुनरीक्षण सम्बन्धी अंतरिम आख्या प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। जिसमें कर्मचारियों को बहुत राहत मिली और संघ ने पुनरीक्षित वेतनमान, जो मुख्यतः निम्न श्रेणी (चतुर्थ श्रेणी) कर्मचारियों के लिये था, प्राप्त हुआ।
  22. संघ का 31वाँ अधिवेशन दिनांक12/13.04.1980 को अलीगढ़ मंे आयोजित किया गया। इस अधिवेशन का उद्घाटन माननीय न्यायमर्ति श्री गोपी जी, प्रशासनिक न्यायमूर्ति इलाहाबाद उच्च नयायालय ने किया था। इस अधिवेशन में 41 जिला शाखाओं के लगभग 250 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। श्री एन0 के0 भल्ला, सदर मुंसरिम अलीगढ़ ने स्वागत समिति के अध्यक्ष के रूप में पूरी निष्ठा से सहयोग और प्रतिनिधियों का स्वागत किया था। वहां यह भी उल्लेख करना समीचीन होगा कि प्रान्तीय पदाधिकारियों के प्रयास से मध्य प्रदेश के न्यायिक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष एवं महासचिव क्रमशः सर्व श्री उमाशंकर मेहता, इंदौर, तथा नीलकंठ दुबे देवा से एवं राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ से अध्यक्ष एवं महासचिव क्रमशः मुरलीधर मिश्रा एवं मुकुटबिहारी गुप्ता, जयपुर से पधारे थे। इस आयोजन में उच्च न्यायालय मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ लखनऊ से संयुक्त सचिव श्री गौरी शंकर तिवारी भी मुख्य अतिथि के रूप में पधारे थे इस आयोजन में सर्वप्रथम अखिल भारतीय न्यायिक कर्मचारी महासंघ के गठन पर विचार हुआ था। सर्वप्रथम इस अधिवेशन में गुप्त मतदान द्वारा चुनाव प्रस्तावित किया गया और श्री नीलकंठ दुबे महासचिव, मध्य प्रदेश न्यायिक कर्मचारी संघ के द्वारा चुना अधिकारी के रूप में चुनाव सम्पन्न कराया गया। इस अधिवेशन में श्री कृष्ण स्वरूप (फैजाबाद) तथा श्री विजय कुमार (लखनऊ) संघ क्रमशः प्रादेशिक अध्यक्ष और महासचिव चुने गए। सर्व श्री श्याम बहादुर सक्सेना, अलीगढ़ कु0 आंशवती सोखी, लखनऊ, राजेन्द्र प्रसाद आर्य कानपुर, देवनाथ मिश्र आजगढ़ संघ के उपाध्यक्ष चुने गये। जबकि कुलदीप कुमार लखनऊ कोषाध्यक्ष, श्री योगेन्द्रकांत शर्मा, गाजियाबाद, उपाध्यक्ष चुने गये। इस प्रांतीय अधिवेशन में संघ ने 19 सूत्रीय मांगपत्र पारित कर माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद और राज्य सरकार को विचार और अनुमोदन हेतु प्रेषित किया गया। वर्ष 1980-81 में हमारी मांगो के सम्बन्ध में संघ ने राज्य सरकार और माननीय उच्च न्यायालय से विचार कर पुनर्गठन समिति की संस्तुतियों को नये पदों के सृजन हेतु लागू करने का अनुरोध किया परंतु राज्य सरकार द्वारा लागू न किये जाने के कारण अपनी मांगो को पूरी कराने हेतु 7 फरवरी 1981 से प्रदेश व्यापी अनिश्चिितकालीन आंदोलन प्रारम्भ किया गया। यह हड़ताल एक सप्ताह के अंदर राज्य सरकार द्वारा कतिपय नये पद सृजित किये जाने के कारण वापस ले ली गयी।
  23. संघ का अगला अधिवेशन वाराणसी में किये जाने का निर्णय लिया गया किंतु अपरिहार्य कारणों से यह अधिवेशन वाराणसी के तत्कालीन जनपद न्यायाधीश श्री आर0पी0एस0 खंडेलवाल द्वारा वहां के कर्मचारियों को निरूत्साहित किये जाने के कारण आयोजित नही किया जा सका। कोई अन्य विवाद उत्पन्न होता इसलिये मुरादाबाद में किये जाने का प्रस्ताव किया और इस प्रकार संघ का 32वाँ अधिवेशन मुरादाबाद जनपद में 9-10 अक्टूबर, 1982 में आयोजित किया गया। माननीय प्रशासनिक न्यायमूर्ति इलाहाबाद उच्च न्यायालय श्री पी0एन0 बख्शी ने इस अधिवेशन का उद्घाटन किया। इस अधिवेशन में 37 जनपदीय शाखाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। शाखाओं की इतनी कम संख्या होने के कारण यह था कि तत्समय जनपद मुरादाबाद में सांप्रदायिक दंगा हो गया था। इस अधिवेशन की पूर्व संध्या पर विषय समिति की बैठक में 1978 में प्रकाशित संशोधित नियमावली और उपविधियों को उ0प्र0 (सेवा संघ की मान्यता नियमावली 1981 दिनांक27.03.81) के अनुसार संशोधित किया गया ताकि सदस्यों में अनुशासन बना रहे और नियमित आर्थिक सहयोग तथा सदस्यता के संबंध में दंड नियम का प्राविधान किया गया। शाखाओं से प्राप्त संशोधन आलेखों को संकलित कर आवश्यक संशोधन प्रस्ताव तैयार कर अगले सत्र में रखे जाने हेतु प्रस्तावित किया गया। जैसे ही संशोधन प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया वह सदन द्वारा पारित किया गया और अन्य संकलित प्रस्ताव को, जो संघ की मांगो के सम्बन्ध में थे, पारित किया गया। सदन द्वारा यह भी निर्देश दिया गया कि जैसे ही संशोधित नियम प्रकाशित की हो और संघ के नये पदाधिकारीगण पद भार ग्रहण करें, शाखाओं में संशोधित नियमावली प्रसारित की जाए। पुनः नयी कार्यकारिणी का चयन गुप्त मतदान से जैसे कि संघ नियमावली में प्राविधानित किया गया था, सम्पन्न किया गया। संघ के अध्यक्ष श्री कृष्ण स्वरूप ने इस बार अध्यक्ष के चुनाव में भाग न लेने की इच्छा व्यक्त की और इस पर उन्हे चुनाव अधिकारी बनाया गया और शांतिपूर्ण ढंग से नयी कार्यकारिणी का चुनाव संपन्न कराया गया। परिणामस्वरूप श्री श्याम बहादुर सक्सेना (अलीगढ़) और डा0 विजय कुमार (लखनऊ) महासचिव चुने गये। सर्व श्री योगेन्द्र कांत शर्मा (गाजियाबाद), सतीश स्वरूप भटनागर (मुरादाबाद), देवनाथ मिश्र (आजमगढ़) मुक्तिनाथ अधिकारी महोदय ने संघ का पांचवा उपाध्यक्ष नामित किया गया श्री कुलदीप कुमार (लखनऊ) को कोषाध्यक्ष और श्री चन्द्र प्रकाश भारतीय (लखनऊ) को संगठन सचिव, श्री राजीव गर्ग (देहरादून) को सांस्कृतिक सचिव चुना गया। इसके अतिरिक्त श्री विजय कौशिक (बुलंदशहर) व मरगूब हुसैन जैदी, बरेली को संयुक्त सचिव चुना गया।
  24. दिनांक 12.07.1988 से दिनांक29.07.1988 तक अधीनस्थ न्यायालय के कर्मचारियों की प्रदेश व्यापी हड़ताल कतिपय मांगो के संबंध में की गयी है।
  25. संघ का 32 वाँ प्रांतीय अधिवेश 9-10 अक्टूबर 19 को जनपद न्यायालय मुरादाबाद में आयोजित किया गया। श्री शान्ती प्रकाश शर्मा स्वागताध्यक्ष ने अतिथियों का हृदय से स्वागत किया।
  26. संघ का 33 वाँ अधिवेशन जनपद न्यायालय मथुरा में दिनांक13-14 अप्रैल, 1985 को आयोजित किया गया। जनपद न्यायालय मथुरा के सदर मुंसरिम श्री रामनरायन सक्सेना जी ने प्रतिनिधियों का स्वागत किया तथा उसकी व्यवस्था की। इस अधिवेशन में प्रदेश की बड़ी संख्या में संघ के लोगो ने भाग लिया और इस अधिवेशन की विशेषतः बात यह रही कि प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आये हुये प्रतिनिधियों ने भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली से विभिन्न धार्मिक तीर्थ स्थलों का भ्रमण करने का का लाभ भी उठाया। इस अधिवेशन में अध्यक्ष और महासचिव श्री श्याम बहादुर सक्सेना, अलीगढ तथा महासचिव स्वयं श्री विजय कुमार (लखनऊ) को चुना गया।
  27. संघ का 34वाँ प्रांतीय अधिवेशन जनपद शाखा बरेली में 19-20 अगस्त, 1989 में आयोजित किया गया। इसका उद्घाटन इलाहाबाद उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति श्री उमेश चन्द्र श्रीवास्तव द्वारा किया जाना था परन्तु अपरिहार्य कारणों से उनके न पधारने के कारण उनके स्थान पर न्यायमूर्ति श्री एस0एच0ए0 रजा उच्च न्यायालय खण्डपीठ लखनऊ ने अधिवेशन का उद्घाटन किया। इस अधिवेशन में श्री हरीश चन्द्र सक्सेना जिला जज बरेली ने अपनी उपस्थिति दी। इस अधिवेशन में डा0 विजय कुमार (लखनऊ) को प्रांतीय अध्यक्ष पद पर चुना गया था। शाहजहांपुर के सदस्य श्री सुधीर विद्यार्थी को महासचिव के पद पर चुन गया था। इस अधिवेशन की मुख्य विशेषता यह थी कि जिस समय 19.08.89 को संघ के अधिवेश का उद्घाटन किया जा रहा था उस समय अधीनस्थ न्यायालयों को प्रत्येक जिलों के लिये एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के पद का सृजन इसी दिवस को किया गया। श्री सुधीर विद्यार्थी महासचिव द्वारा अपने व्यक्तिगत कारणों से अपने कार्यकाल में महासचिव के पद पर कार्य नही कर सके और अंतरिम काल के लिये गाजियाबाद के श्री करन सिंह को कार्यवाहक महासचिव मनोनीत किया गया।
  28. संघ का 35वाँ प्रांतीय अधिवेशन रायबरेली जनपद में 09-10 मई, 1992 को आयोजित किया गया और इस अधिवेशन का उद्घाटन न्यायालय श्री एस0एच0ए0 रजा द्वारा किया गया। स्वागत समिति के अध्यक्ष रायबरेली के श्री एस0एन0पी0 सिन्हा, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी द्वारा विभिन्न जनपदों से आये हुये प्रतिनिधियों तथा अतिथियों का स्वागत किया गया। इस अधिवेशन की सफलता का श्रेय शाखा के सचिव और अध्यक्ष क्रमशः श्री जगदेव प्रसाद एवं श्री मनोकनिका उपाध्याय को क्रमशः अध्यक्ष एवं महासचिव चुना गया। परन्तु इस चुनाव में फर्जी वोट डालने के कारण यह चुनाव विवादित रहा। इस विवाद के चलते ही शाहजहांपुर कांड जो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से संबंधित था, जिसमें भूतपर्वू महासचिव श्री सुधीर विद्यार्थी द्वारा चुनाव विवाद को टालने तथा कतिपय अन्य कारणों से प्रदेश व्यापी आंदोलन घोषित कर दिया और चुनाव सम्बन्धित विवाद का निपटारा न किये जाने से संघ की गतिविधियां व्यापक उत्पीड़न के उपरांत आंदोलन असफल रहा और इस आंदोलन के चलते अधीनस्थ न्यायालय के विभिन्न जनपदों के तमाम कर्मचारियों जो संघ से लगाव रखते थे, उनका एक जनपद से दूसरे जनपद में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा स्थानान्तरण कर दिया। जिसके परिणामस्वरूप हमारे संघ की शक्ति क्षीण हुई और संगठन की गतिशीलता अवरूद्ध हो गयी।
  29. सन् 1994 में संघ का 36वाँ अधिवेशन दिनांक12-13 नवम्बर 1994 में जनपद वाराणसी में आयोजित किया गया। इस अधिवेशन का उद्घाटन उ0प्र0 के राज्यपाल मोतीलाल बोरा जी द्वारा किया गया तथा समापन प्रशासनिक न्यायमूर्ति श्री ओम प्रकाश, उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा किया गया। जनपद न्यायाधीश श्री पी0सी0 अग्रवाल वाराणसी की अध्यक्षता को सम्पन्न हुआ। शाखा द्वारा खुले सत्र के उपरान्त कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अधिवेशन में रायबरेली में जो चुनाव संबंधी विवाद उत्पन्न हुआ था, को दृष्टिगत रखते हुए सर्वसम्मति से बिना कोई चुनाव कराये संघ के अध्यक्ष एवं महासचिव का चुनाव सहमति के आधार पर कराया गया। जिन्होने कालान्तर में अपनी कार्यकारिणी का गठन किया। इस अधिवेशन में श्री अनन्त कुमार शुक्ल (कानपुर) को अध्यक्ष तथा वाराणसी के जुझारू सदस्य श्री उमेश प्रसाद सिंह को महासचिव चुना गया।
  30. संघ का 37वाँ अधिवेशन जनपद न्यायलय इलाहाबाद में 9-10 मई, 1998 को आयोजित किया गया। इस अधिवेशन का उद्घाटन माननीय न्यायालय इलाहाबाद के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री डी0पी0 महापात्र जी द्वारा किया गया इस अधिवेशन में न्यायमूर्ति श्री आर0आर0 के त्रिवेदी, न्यायामूर्ति श्री ओ0पी0 गर्ग, महानिबन्धक उच्च न्यायालय इलाहाबाद श्री एस0एस0 कुलश्रेष्ठ ने उपस्थित होकर संघ के अधिवेशन को गौरवान्वित किया। इस अधिवेशन में प्रान्तीय अध्यक्ष के रूप में पुनः श्री विजय कुमार (लखनऊ) को चुना गया तथा महासचिव के पद पर श्री अनिल कांत दीक्षित को चुना गया। श्री अनिल कांत दीक्षित एवं श्री जर्नादन द्विवेदी कोषाध्यक्ष किसी भी बैठक में उपस्थित नही हुये जिससे संघ का कार्य करने में भारी कठिनाई आयी थी। इसलिये संघ के प्रांतीय कार्यकारिणी की बैठक में श्री अनिल कान्त दीक्षित एवं जर्नादन द्विवेदी के स्थान पर क्रमशः श्री अमर बहादुर सिंह इलाहाबाद तथा श्री कुलदीप कुमार लखनऊ को महासचिव व कोषाध्यक्ष नामित किया गया।
  31. संघ का 39वाँ अधिवेशन जनपद न्यायालय आगरा में 8 व 9 जनवरी 2011 में आयोजित किया गया जिसमें मुख्य अतिथि माननीय मुख्य न्यायमूर्ति एफ0आई0 जी की उपस्थिति में सम्पादित हुआ यह अधिवेशन श्री सुरेन्द्र कुमार जिला जज आगरा की अध्यक्षता में हुआ था। जिसमें विशिष्ट अतिथि श्री दिनेश गुप्ता महानिबंधक मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद थे। जिसमें अध्यक्ष के रूप में श्री शेर बहादुर सिंह व महासचिव के रूप में श्री राजेश कुमार यादव निर्वाचित हुए, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री अमर बहादुर सिंह, उपाध्यक्ष पं0 राजकुमार गौतम, श्री चतर सिंह व श्री सुरेन्द्र श्रीवास्तव निर्वाचित हुये। संयुक्त सचिव सत्येन्द्र बहादुर सिंह, श्रीमती अल्का बख्शी, श्री नीरज मिश्र, श्री विनोद कुमार दीक्षित तथा संगठन सचिव के रूप में श्री दिगपाल सिंह, कु0 प्रतिभा तोमर, श्री विनोद कुमार सक्सेना, श्री सन्तोष ओझा निर्वाचित हुए। सांस्कृतिक सचिव श्री दिलीप श्रीवास्तव कोषाध्यक्ष श्री अनिल कुमार श्रीवास्तव, आडिटर सन्तोष कुमार सिंह निर्वाचित घोषित हुये। संरक्षक के रूप में श्री श्याम सुन्दर सिंह सर्व सम्मति से मनोनीत किया गया।
  32. संघ का 40वाँ अधिवेशन 27 व 28 मई 2016 को गांधी भवन, लखनऊ में आयोजित किया गया। इस अधिवेशन में अध्यक्ष पद पर डाॅ0 नृपेन्द्र सिंह (बदायूं) एवं महासचिव पद पर श्री नरेन्द्र विक्रम सिंह (श्रावस्ती) निर्वाचित हुए। वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर प0 राजकुमार गौतम, उपाध्यक्ष पद पर श्री सत्येन्द्र बहादुर सिंह (इटावा), श्री पूरन सिंह भण्डारी (मेरठ), श्री हरेन्द्र मोहन सारस्वत (एटा), श्री संजीव कुमार पाण्डेय (वाराणसी) निर्वाचित हुए। संयुक्त सचिव पद पर श्री विनोद कुमार दीक्षित (चन्दौली), श्री विनोद कुमार सक्सेना (अलीगढ़), श्री राघवेन्द्र सिंह यादव (लखनऊ), दुर्गेश श्रीवास्तव (आजमगढ़) निर्वाचित हुए। संगठन सचिव पद पर श्री विवेक दत्त उपाध्याय (फर्रूखाबाद), श्री हर्ष बाबू (बुलन्दशहर), श्री क्षेमेन्द्र जैन (कौशाम्बी), श्री प्रदीप भटनागर (मुरादाबाद) निर्वाचित हुए। श्री अनिल कुमार श्रीवास्तव लखनऊ कोषाध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए। सांस्कृतिक सचिव पद पर श्री अक्षय प्रताप सिंह बुलन्दशहर निर्वाचित हुए। संरक्षक के रूप में श्री अनिल सिंह को सर्व सम्मति से मनोनीत किया गया। श्री नीरज कुमार श्रीवास्तव (लखनऊ), श्री सैय्यद मोहम्मद ताहा (बाराबंकी), श्री संदीप चैहान (लखीमपुर), सुश्री प्रतिभा तोमर (हापुड़), श्री अनुराग श्रीवास्तव (सोनभद्र) एवं श्री राजेश कुमार यादव (लखनऊ) को सर्व सम्मति से उपाध्यक्ष पद पर नामित किया गया। इस अधिवेशन के बाद कर्मचारी हितों के प्रयासों की श्रृखला में दिनांक 24.07.2016 को जनपद मुरादाबाद में स्वाभिमान सभा का आयोजन किया गया जिसमें कैबिनेट मंत्री महबूब अली मुख्य अतिथि के रूप से उपस्थित रहे। डाॅ0 नृपेन्द्र सिंह (प्रांतीय अध्यक्ष) एवं श्री नरेन्द्र विक्रम सिंह (प्रांतीय महासचिव) के सशक्त नेतृत्व में दिनांक 14 अक्टूबर 2017 को लक्ष्मण झूला मैदान में शेट्टी कमीशन की संस्तुतियों को लागू करने के लिये प्रदेश भर के कर्मचारियों द्वारा विशाल रैली एवं धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया।
  33. संघ का 41वाँ अधिवेशन दिनांक 13 व 14 मार्च 2021 को जनपद बाराबंकी में श्री जयशंकर त्रिवेदी के संयोजन में आयोजित किया गया। इस अधिवेशन का उद्घाटन मुख्य अतिथि माननीय बृजेश पाठक जी, कैबिनेट मंत्री (विधि एवं न्याय) उ0 प्र0 शासन द्वारा किया गया। 41वें अधिवेशन में एक बार पुनः डाॅ0 नृपेन्द्र सिंह (बदायूं) ने अपना विजय परचम लहराया एवं कर्मचारियों में लोकप्रिय श्री नरेन्द्र विक्रम सिंह (श्रावस्ती) दोबारा महासचिव पद पर निर्वाचित हुए। वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर श्री अभिषेक सिंह (इलाहाबाद) निर्वाचित हुए। श्री हरिशंकर श्रीवास्तव (लखीमपुर), श्री सैय्यद मोहम्मद ताहा (बाराबंकी), श्री विवेक दत्त उपाध्याय (फर्रूखाबाद) उपाध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए। श्री अनिल कुमार श्रीवास्तव (अंबेडकरनगर), श्री प्रिय रंजन किशोर (बागपत), श्री प्रेम नरायन (सीतापुर), श्री संदीप कुमार यादव (सहारनपुर) संयुक्त सचिव पद पर निर्वाचित हुए। श्री देवराज सिंह (अलीगढ़), श्री अवधेश खरे (ललितपुर), श्री सुधीर कुमार श्रीवास्तव (श्रावस्ती) व श्री सुधीर कुमार विश्नोई (बिजनौर) संगठन सचिव के पद पर निर्वाचित हुए। श्री नीरज श्रीवास्तव (लखनऊ) कोषाध्यक्ष के पद पर निर्वाचित हुए एवं श्री रतन कुमार श्रीवास्तव (इलाहाबाद) सांस्कृतिक सचिव के पद पर निर्वाचित हुए। उत्तर प्रदेश में संघ को प्रत्येक जिले में विस्तार करने के साथ मजबूत बनाने व ‘‘सशक्त कर्मचारी-समर्थ कर्मचारी’’ की अवधारणा को धरातल पर लाने के उद्देश्य से अनुभव व उर्जा को एक साथ समाहित करते हुए श्री अमरेश चन्द्र दूबे (मिर्जापुर), श्री जयशंकर त्रिवेदी (बाराबंकी), श्री संजीव विश्वकर्मा (गौतमबुद्धनगर), सुश्री प्रतिभा तोमर (हापुड़), श्री विवेक त्रिपठी (चन्दौली), श्री धीरेन्द्र सिंह (कानपुर देहात) व श्री अवनीश श्रीवास्तव (इलाहाबाद) को सर्वसम्मति से उपाध्यक्ष पद हेतु नामित किया गया। युवा ऊर्जा के रुप मेंं श्री भागवत शुक्ल (बस्ती) को संयुक्त सचिव पद पर मनोनीत किया गया। श्री अजय गर्ग (मुजफ्फर नगर) को संगठन सचिव पद पर नामित किया गया। श्री संदीप चैहान (लखीमपुर) को संघ का संरक्षक नामित किया गया।