अधीनस्थ न्यायपालिका के कर्मचारी आज तक न्यायपालिका में अपने अस्तित्व की तलाश की जद्दोजहद में है। हम कार्य करते है न्यायपालिका में समस्त न्यायिक कार्यों को हमारे ही हाथो से गुजरना है न्यायपालिका में लंबित निर्णीत प्रत्येक पत्रावली के प्रत्येक पन्ने की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी है
Read more →दोस्तों हमें लगता है कि कोई आएगा और हमारी सारी समस्याओं का समाधान कर देगा यही विचार हम अपने कार्य क्षेत्र के विषय में भी सोचते हैं और चाहते हैं कि कोई आगे बढ़कर हमारी समस्याओं का समाधान करें यद्यपि मैं मानता हूं कि संघ का दायित्व है कि वह अपने कर्मचारियों की सभी समस्याओं का समाधान करें मगर हमें यह भी समझना होगा कि
Read more →‘‘कर्मचारी एकता’’ शब्द है जो सुनने में काफी अच्छा लगता है लेकिन दीवानी न्यायालय कर्मचारियों में यह शब्द कितना प्रभावी और सार्थक है इसकी समीक्षा करने की आवश्यकता है। ऐसा कहा जा सकता है कि न्यायालयों के कर्मचारियों की अधिकांश ऐसी समस्याएं है जो प्रशासनिक स्तर से नही बल्कि अपने ही बीच के कुछ अतिबुद्धिजीवि कर्मचारियों द्वारा पद का दुरूपयोग, वर्चस्व की लडाई, आपसी द्वेष व दूसरे की अपेक्षा अपने को प्रभावशाली सिद्ध करने के लिए अपने साथियों के लिए ही खड़ी कर दी जाती हैं।
Read more →भारतीय लोकतंत्र में न्यायपालिका जैसे महत्वपूर्ण स्तम्भ के नींव के पत्थर के रूप में हम सभी का योगदान आम जनता को सुलभ न्याय दिलवाने में कम नही है। अधीनस्थ न्यायालय कर्मचारियों के अथक प्रयास से देष का वादकारी सुलभ न्याय पाने में समर्थ हो पा रहा है।
Read more →प्रत्यक्ष हो या न हो, हम न्याय व्यवस्था के संचालक हैं।
अधिवक्ता और अधिकारी के मध्य स्थित सहायक हैं।
जो गिन ना सके उन पन्नों के संरक्षक कार्यपालक हैं।
प्रांरभ हमी हैं, अंत भी हम हैं,
न्यायपालिका के स्तंभ भी हैं।
हाँ क्योंकि मजदूर हूँ मै.
पत्थर तो बहुत तोड़े हैं मैने पर कभी किसी पर फेंका नहीं,
सड़के तो बहुत बनायी पर कभी किसी पर कब्जा नहीं किया,
फसलें तो बहुत उगाई पर कभी कोठियो में भर कर न रखा,